अपर विकास आयुक्त की डेस्क से


सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम प्रौद्योगिकी(टेक्नोल़ॉजी) केंद्रः

(पूर्व में औजार कक्ष एवं प्रौद्योगिकी विकास केंद्र के रूप में ज्ञात)


भूमिका एवं पृष्ठभूमि

  • देश में प्रौद्योगिकी तक पहुँच एमएसएमई के समक्ष प्रमुख चुनौती है। यह भी एक कारण है कि भारत में अधिकांश एमएसएमई नये प्रौद्योगिकीय समाधानों को अपनाने में बहुत सुस्त हैं और लागत में कमी एवं संपोषणीयता के लिए समाधान ढूँढने में बड़े उद्योगों की सहायता करने में असमर्थ हैं। इससे प्रमुख उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को क्षति होती है। इसके अतिरिक्त, ऑटोमेशन एवं एआर, वीआर, एआई, ब्लॉक चेन जैसी अन्य प्रौद्योगिकियों की प्रगति के साथ विनिर्माण क्षेत्र को बड़े परिवर्तन के माध्यम से गुजरने की प्रत्याशा है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय, विकास आयुक्त (एमएसएमई) कार्यालय ने देश में उद्योग के विकास के लिए उपयुक्त प्रोत्साहन देने के अपने प्रयास - खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की सहायता करने के उद्देश्य से भारत भर में प्रौद्योगिकी केंद्र, उनमें से अधिकांश जर्मनी एवं डेनमार्क तथा संयुक्त राष्ट्र की सरकारों के द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से स्थापित किए हैं। इन्हें पूर्व में औजार कक्ष एवं प्रौद्योगिकी विकास केंद्र के रूप में जाना जाता था। विद्यमान एमएसएमई प्रौद्योगिकी केंद्रों की सूची निम्नलिखित हैं:
  • 1. केद्रीय औजार कक्ष एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीटीटीसी), कोलकाता

    2. केद्रीय औजार कक्ष (सीटीआर), लुधियाना

    3. इण्डो-जर्मनी औजार कक्ष (आईजीटीआर), इंदौर

    4. इण्डो-जर्मनी औजार कक्ष (आईजीटीआर), अहमदाबाद

    5. इण्डो-जर्मनी औजार कक्ष (आईजीटीआर), औरंगाबाद

    6. इण्डो-डेनिस औजार कक्ष (आईडीटीआर), जमशेदपुर

    7. केद्रीय औजार कक्ष एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीटीटीसी), भुवनेश्वर

    8. औजार कक्ष एवं प्रशिक्षण केंद्र (टीआरटीसी), गुवाहाटी

    9. केंद्रीय हस्त औजार संस्थान (सीआईएचटी), जालंधर

    10. केंद्रीय औजार डिजाइन संस्थान (सीआईटीडी), हैदराबाद

    11. इलेक्ट्रॉनिक्स सेवा एवं प्रशिक्षण केंद्र (ईएसटीसी), रामनगर

    12. वैद्युत मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट डिजाइन संस्थान (आईडीईएमआई), मुम्बई

    13. सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी), कन्नौज

    14. ग्लास उद्योग विकास केंद्र (सीडीजीआई), फिरोजाबाद

    15. प्रक्रिया एवं उत्पाद विकास केंद्र (पीपीडीसी), आगरा

    16. प्रक्रिया एवं उत्पाद विकास केंद्र (पीपीडीसी), मेरठ

    17. केंद्रीय फुटवियर प्रशिक्षण संस्थान (सीएफटीआई), आगरा

    18. केंद्रीय फुटवियर प्रशिक्षण संस्थान (सीएफटीआई), चेन्नै

  • 18 प्रौद्योगिकी केंद्रों (टीसी) में से, प्रथम 10 प्रौद्योगिकी केंद्र (पूर्व में औजार कक्ष में जाने गए) उद्योग को टूलिंग, मोल्डस, डाइज, आदि देते हैं। ये प्रौद्योगिकी केंद्र औजार डाई निर्माण के क्षेत्र में प्रशिक्षण भी देते हैं। आज, प्रौद्योगिकी केंद्रों को मोल्ड एवं डाई निर्माण प्रौद्योगिकी में बहुत दक्ष माने जाते हैं।
  • दो दशक से अधिक होने के बावजूद, प्रौद्योगिकी केंद्र अभी भी बहुत उपयोगी हैं क्योंकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने इन केंद्रों को अपने क्षेत्र में उन्हें सगत एवं नवीनतम प्रगतियों के बराबर रखकर सहायता की है। मंत्रालय 3डी प्रिटिंग, ग्लास मशीनिंग, सीएडी/सीएएम, टूलिंग के लिए सीएनसी मशीनिंग, वैक्यूम हीट ट्रीटमेंट, रोबोटिक्स एवं प्रॉसेस ऑटोमेशन आदि जैसी नयी प्रौद्योगिकियों को प्रारंभ कर प्रौद्योगिकी केंद्रों का उन्नयन करने के लिए समय-समय पर निवेश करता रहा है। ये प्रौद्योगिकी केंद्र गुणता औजार, प्रशिक्षित कार्मिक एवं टूलिंग तथा संबंधित क्षेत्रों में परामर्श से एकीकृत रूप से विकास पर ध्यान दे रहे हैं।
  • शेष प्रौद्योगिकी केंद्र (पूर्व में प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों के रूप में जाने गये - उपर्युक्त सूची में क्रमांक 11 से 18 तक) इन क्षेत्रों की सहायता करने के लिए फाउंड्री एवं फोर्जिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट, फ्रैगरैंस एवं फ्लेवर, ग्लास, स्पोर्ट गूड्स एवं फुटवियर डिजाइनिंग जैसे विशिष्ट उत्पाद समूहों में जनशक्ति विकास तथा प्रशिक्षण के अलावा प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं एवं उत्पादों को विकसित एवं उन्नयन करने के लिए तकनीकी सेवाएं देकर विशिष्ट क्षेत्रों को एमएसएमई केटरिंग की सहायता देने वाले उत्पाद विशिष्ट केंद्र हैं।


सुविधाएं एवं सेवाएं:

  • (क) घरेलू क्षेत्रः
    प्रौद्योगिकी केंद्रों की सुविधाओं में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार परिष्कृत औजारों, घटकों और उत्पादों की डिजाइन एवं विनिर्माण की अनुमति होती है। इन केंद्रों पर उपलब्ध नवीनतम हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर व्यावसायिक डिजाइन एवं 3डी सॉलिड मॉडलिंग सुनिश्चित की जाती है। प्रौद्योगिकी केंद्रों पर उत्पादन सुविधाएं एमएसएमई को अत्याधुनिक उत्पादन सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, ये संस्थान पुरजों एवं घटकों की डिजाइन, सामग्री परीक्षण, ऊष्मा उपचार, गुणता नियंत्रण एवं उत्पाद तथा प्रक्रिया सुधार से संबंधित तकनीकी परामर्श जैसी तकनीकी सेवाएं देते हैं।
  • प्रौद्योगिकी केंद्रों ने जटिल उपकरणों, पुरजों एवं घटकों (कई जो आयात प्रतिस्थानी के रूप में कार्य करते हैं।) के लिए एमएसएमई को डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण सहायता देने के अतिरिक्त भी देश के ऐरोस्पेस, रक्षा, परमाणु ऊर्जा, आदि जैसे रणनीतिक क्षेत्रों की उनकी अनुसंधान एवं विकास आवश्यकताओं के लिए सहायता की है।
  • भारतीय औद्योगिक वृद्धि के लिए एकीकृत समाधान की प्रौद्योगिकी केन्द्र धारणा उत्तम संरचित, माड्यूलर क्रियाशील, केन्द्रित प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर आधारित है। सभी पाठ्यक्रमों को वैश्विक प्रौद्योगिकीय उन्नतियों के समान रखने के लिए नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए प्रवेश की पात्रता स्कूल ड्रापआउट से लेकर बी-टेक स्तर तक है। उपर्युक्त क्षेत्रों में प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए विश्व में अन्यत्र विकास के साथ कदम मिलाने हेतु जटिल उपकरण की जरूरत है। इसमें अध्यापन स्टॉफ की टीम की भी मांग होती है जिनके पास प्रशिक्षुओं को स्वतंत्र रूप से सुसज्जित करने और टीम का शॉप फ्लोर पर नेतृत्व करने के लिए व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक ज्ञान है। प्रौद्योगिकी केन्द्रों द्वारा प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों के विभिन्न स्तर हैं अर्थात् प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, एडवांस्ड डिप्लोमा, पोस्ट डिप्लोमा, स्नातकोत्तर डिप्लोमा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम को रोजगार के उद्देश्यों से भारत और विदेशों में स्वीकार किया जाता है जो कि दीर्घ कालिक प्रशिक्षुओं के लगभग 100 प्रतिशत नियोजन से प्रमाणित है। कई सफल प्रशिक्षुओं ने अपना स्वयं का उद्यम भी स्थापित कर लिया है जिससे वे देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं।
  • (ख) अंतर्राष्ट्रीय पद चिन्हः
    प्रौद्योगिकी केन्द्रों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी विकसित किया है। प्रौद्योगिकी केन्द्र विभिन्न करारों जैसे कि कोलम्बों की तकनीकी सहयोग स्कीम (टीसीएस), विशेष राष्ट्रमंडल अफ्रीकी सहायता कार्यक्रम (एससीएएपी), भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी), श्रीलंका को सहायता आदि के अंतर्गत प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
  • प्रौद्योगिकी केन्द्रों को स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करने के अतिरिक्त एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केन्द्रों ने विकासशील देशों जैसे कि जिम्बाब्वे, म्यांमार, श्रीलंका, तजाकिस्तान आदि के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रौद्योगिकी केन्द्रों और व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्य को भी पूर्ण किया है।
  • सभी प्रौद्योगिकी केन्द्र पूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन (टीक्यूएम) के सिद्धांत का पालन करते हैं। वे आईएसओ 9001-2000 प्रमाणित संस्थान हैं और उनमें से कुछ आईएसओ-14000, ओएचएसएएस-18000, आईएसओ-29990 और आईएसओ-50001 प्रमाणित हैं। एयरो-स्पेस घटक आपूर्ति के लिए केन्द्रीय टूल रूम एवं प्रशिक्षण केन्द्र, भुवनेश्वर एएस-9100 प्रमाणित भी है।
  • आगे का मार्ग
  • सेवारत एमएसएमई में प्रशिक्षण केन्द्रों की सफलता को ध्यान में रखते हए, सरकार ने विद्यमान प्रशिक्षण केन्द्रों के आधुनिकीकरण और देश भर में अधिक प्रशिक्षण केन्द्रों को स्थापना द्वारा प्रशिक्षण केन्द्रों के नेटवर्क को सुदृढ़ करने की आवश्यकता महसूस की ताकि असेवित और निम्न-आय के राज्यों में एमएसएमई ऐसे केन्द्रों से भी लाभ उठा सकें। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार विश्व बैंक के 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्त-पोषण सहित 2,200 करोड़ रू. की अनुमानित लागत पर प्रौद्योगिकी केन्द्र प्रणाली कार्यक्रम (टीसीएसपी) के अंतर्गत 15 प्रौद्योगिकी केन्द्रों को स्थापित, विद्यमान प्रशिक्षण केन्द्रों के उन्नयन आधुनिकीकरण करने के प्रक्रियाधीन है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, 13 नए प्रौद्योगिकी केन्द्र पर कार्य जोरों पर है और नए बनने वाले प्रौद्योगिकी केन्द्र कई अत्याधुनिक विनिर्माण प्रौद्योगिकियां जैसे कि सीएनसी मशीनों, थ्रीडी विनिर्माण/योगात्मक विनिर्माण, लेजर/अल्ट्रासोनिक मशीन, रोबोटिक्स और प्रक्रिया स्वचालन, सटीक माप/मैट्रोलॉजी उपकरण, सामान्य इंजीनियरिंग और मोटरवाहन क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक इलैक्ट्रोनिक्स विनिर्माण सुविधाएं, इलैक्ट्रॉनिक प्रणाली डिजाईन और विनिर्माण (ईएसडीएम) क्षेत्र के लिए मापांकन और परीक्षण सुविधाओं से सुसज्जित होगें। इनमें से, 10 नए प्रशिक्षण केन्द्रों को वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंत तक परिचालित किया जाना अपेक्षित है। जून, 2020 तक सभी केन्द्रों द्वारा कार्य आरंभ करना अपेक्षित है।
  • यह आशा की जाती है कि 15 नए प्रशिक्षण केन्द्र 120,000 तक प्रशिक्षुओं की प्रशिक्षण क्षमता में वृद्धि करेगा जिससे सभी 33 प्रशिक्षण केन्द्रों की कुल क्षमता प्रतिवर्ष लगभग 300000 प्रशिक्षुओं की होगी। यहां उल्लेख किया जाता है कि भारत में 33 प्रशिक्षण केन्द्रों के वर्धित नेटवर्क के बाद भी विशेषकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में एमएसएमई का बड़ा आधार फिर भी असेवित रहेगा। जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में, लगभग प्रति 26,000 से 30,000 एमएसएमई पर 1 प्रशिक्षण केन्द्र (समकक्ष संस्थानों और प्रयोगशालाओं सहित) है, जबकि भारत में यह अनुपात प्रति 2,65,000 एमएसएमई लगभग एक प्रशिक्षण केन्द्र है।
  • इसलिए, विस्तार केन्द्रों के माध्यम से जिला स्तर तक पहुँचने तथा अधिक राज्यों/क्षेत्रों को शामिल करने के लिए उर्ध्व और क्षैतिज विस्तार और भविष्य के लिए तैयार नए प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से प्रशिक्षण केन्द्र नेटवर्क के भौगोलिक पदचिन्हों को और अधिक बढ़ाने की अत्यधिक आवश्यकता है।
  • इस मामले का समाधान करने के लिए, हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री ने 6000 करोड़ रू. की अनुमानित लागत पर 20 प्रौद्योगिकी केन्द्रों और 100 विस्तार केन्द्रों (ईसी) की स्थापना की घोषणा की है।
  • ईसी सहित प्रौद्योगिकीय उन्नत प्रशिक्षण केन्द्रों का नेटवर्क एक बार आरंभ हो जाने पर यह प्रशिक्षण केन्द्रों की भौगोलिक पहुँच को महत्वपूर्ण रूप से विस्तृत करेगा। यह भू-स्तर पर उद्यमी भावना को बढ़ाएगा और नवोन्मेष को प्रयोगशाला से धरातल पर लाएगा। यह उन एमएसएमई तक पहुँचेगा जो विनिर्माण का मुख्य स्थान है परंतु उनके पास नवीनतम प्रौद्योगिकी तक सीमित अथवा कोई पहुँच नहीं है। वर्तमान में विनिर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 16 प्रतिशत है और एमएसएमई इस विनिर्माण परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस क्षेत्र को लगभग 40 प्रतिशत योगदान के साथ, एमएसएमई की प्रौद्योगिकी तक पहुँच में सुधार इस क्षेत्र और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करेगा।