संयुक्त सचिव (एसएमई) की डेस्क से - जनवरी 2019

एमएसएमई को वैश्विक बनाने के लिए नई दिशा देना


  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) उद्यमिता और नवप्रवर्तन के लिए पौधशाला है। भारतीय एमएसएमई देश भर में व्यापक रूप से फैले हुए हैं और विविध रेन्ज के लगभग 6000+उत्पादों का उत्पादन करते हैं और सेवाओं से स्थानीय बाजारों वैश्विक बाजार और घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं को एकीकृत करके आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। उन्होंने न केवल अधिक नवप्रवर्तनकारी प्रस्ताव किए हैं बल्कि अपने साझेदारों के लिए भी अधिक मूल्य प्रदान करते हैं ताकि अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और आपसी रूप से लाभकारी परिणाम संभव हो सके। अपनी दक्षता और गतिशीलता से, इस क्षेत्र ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्षेत्र में दृढ़ प्रतिस्पर्धा हेतु प्रशंसनीय नवप्रवर्तनशीलता और अनुकूलन क्षमता दर्शाई है। कृषि के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजन क्षेत्र होने के नाते, एमएसएमई क्षेत्र देश के आर्थिक विकास के एक शक्तिशाली इंजन के रूप में उभरा है जो भारत से समग्र निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत योगदान करता है।

  • यह प्रमाणित सत्य है कि औद्योगिक क्षेत्रों विशेषकर एमएसएमई क्षेत्र में भारत के पास पर्याप्त अनुभव और विशेषज्ञता है। भारत ने एमएसएमई के विकास पर अत्यधिक जोर दिया है और अपने सभी आर्थिक परिवेश के लिए उपयुक्त विकास का पैटर्न तैयार किया है।

  • एमएसएमई क्षेत्र (सेक्टर) उत्साह का प्रतीक

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत में औद्योगिक कार्यकलापों का हृदय है। इसमें 63 मिलियन से अधिक एमएसएमई हैं जो औद्योगिक उत्पादन का 45 प्रतिशत सेवा क्षेत्र का 30.5 प्रतिशत है तथा 110 मिलियन के करीब कर्मचारी हैं। घरेलू नीतिगत फोकस एक गतिशील वैश्विक बाजार एमएसएमई को वैश्विक बनाने के लिए अवसर प्रदान कर सकती है।

  • एमएसएमई क्षेत्र ने देश में सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया है। वर्ष 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रीलियन यूएसडी होने की संभावना है और एमएसएमई खंड में अर्थव्यवस्था के लिए एक रीड की हड्डी के रूप में उभरने की क्षमता है और यह विकास के लिए एक इंजन के रूप में कार्य करता है और यह सही सहायता देकर ढांचे को सक्षम बनाता है।
  • भारतीय संदर्भ में डीजीसीआईएस आंकड़ों के अनुसार एमएसएमई संबंधित उत्पादों का मूल्य 147,390.08 मिलियन डॉलर है और वर्ष 2017-18 के दौरान देश में एमएसएमई संबंधित उत्पादों के निर्यात का हिस्सा 48.56 प्रतिशत था।
  • भारतीय एमएसएमई की वैश्विक बनाने के लिए वैश्विक कार्यक्षेत्र की तुलना में इनोवेट, इंक्यूबेट और प्रवेश के लेवल प्लेईंग फील्ड के साथ आता है वैश्विक प्रतिस्पर्धा और चुनौतियों के आज के परिवेश हेतु एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई देशों ने शीघ्र कदम उठाए हैं। भारत ने भी एमएसएमई सेक्टर को समग्र सहायता प्रदान करने और उनकी समग्र क्षमताओं को बढ़ाने और सहायता उपलब्ध कराने के लिए कार्यनीति मूल्यांकन की आवश्यकता की पहल की है।
  • भारत में एमएसएमई अपनी गतिशीलता, लचीलापन और अभियान, उन्नत उत्पादन पद्धति, प्रवेशक बाजार कार्य नीतियों और अपने प्रचालनों को सशक्त बनाने और सतत् क्षमताओं के आधुनिक वैज्ञानिक प्रबंधन पर तीव्रता से ध्यान केन्द्रित कर रहा है। वे वैश्विक साझोदारी के लिए तैयार है और उनके पास विविध क्षेत्रों में नवीनतम प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने की क्षमता है। भारतीय एमएसएमई क्षेत्र एक आदर्श मॉडल है जिसे कई अन्य देश दोहराना चाहते हैं।
  • उनकी भारत को एक विनिर्माण हब और ‘‘मेक इन इंडिया’’ अभियान को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • निःसंदेह उपयुक्त उपायों के माध्यम से इस क्षेत्र में उद्यमों को संपोषण प्रदान करने की जरूरत है जोकि नई उँचाईयों को छूने के लिए चुनौतियों को अवसरों में बदलकर उन्हें मजबूत करेगा।
  • हम भारत को विनिर्माण हब बनाने के समग्र उद्देश्य से एमएसएमई को सक्ष्म परिवेश प्रदान करने पर ध्यान दे रहे हैं। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग गतिविधि का मुख्य उद्देश्य भारतीय एमएसएमई में भारत की सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और उन विकसित और विकासशील देश में उत्पादों का निर्यात करना, उप-संविदा करना. प्रौद्योगिकी अंतरण के संयुक्त उद्यम जैसे तकनीकी और व्यवसाय संबंधों को उत्पन्न करने के लिए अनुकूल अवसर सृजित करना है। मेक इन इंडिया के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक-तरफा लेन-देन के बजाय सतत् व्यवसाय संबंध विकसित करने पर समग्र रूप से जोर देना है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय कार्य क्षेत्र में भारतीय एमएसएमई को उजागर करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्लेटफार्म प्रदान करता आ रहा है। अपनी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्कीम के माध्यम से मंत्रालय अन्य देशों में पारस्परिक व्यवसाय शिष्टमंडलों और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों, सम्मेलनों में एमएसएमई के दौरों को सब्सिडी देकर उन्हें सक्षम परिवेश प्रदान करता है।
  • एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केन्द्रों ने कम से कम 10 घटक प्रदान किए हैं जिनका मंगलयान (मार्श आर्बिटर विशन) में प्रयोग किया गया था। सूक्ष्म अभियांत्रिकी में ऐसी अधिक विशेषज्ञता को खोजा जाना अपेक्षित है, यह पुनः स्थापित करने के लिए कि एमएसएमई के पास अभी पर्याप्त पूर्ण (अनटैप्ड) संभावनाएं हैं।

  • अन्य देशों के साथ सहयोग

  • संबंधित देश और भारत में एमएसएमई विकास में चल रही प्रवृतियों और व्यवसाय परिवेश के विश्लेषण, नवप्रवर्तन और प्रौद्योगिकी अंतरण, संयुक्त उद्यमों, व्यापार क्षेत्र में एसएमई सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न देशों के साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। उदाहरणार्थ, दोनों देशों के एमएसएमई को आवश्यक सहायता प्रदान करने और सहयोग, लिंकेज सुविधा सृजित करने और उत्तम पद्धतियाँ साझा करने के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी) ने आरएसएमबी, रूस और पीएमईएमएआरओसी, मोरक्को के साथ समझौता ज्ञापन किया है। इन देशों के साथ एमएसएमई सेक्टर में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एनएसआईसी ने एसएमई कॉर्प, मलेशिया और एसबीसी, साऊथ के साथ भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • इन समझौता ज्ञापनों ने अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पहुंचने के लिए एमएसएमई हेतु सही मंच सृजित करने में सहायता की है।
  • व्यवसाय अवसंरचना के विकास और इनके फलस्वरूप संबद्ध सेवाओं जैसे कि इन्क्यूबेटरों, क्लस्टरों इत्यादि के उद्देश्य वाले सहयोग के द्वीपक्षीय कार्यक्रमों को बढ़ावा मिला है।
    श्री गिरिराज सिंह, माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार और श्री जाँग हाक होंग माननीय एसएमई मंत्री और स्टार्टअप दक्षिण कोरिया सरकार ने एक इंडिया-कोरिया टेक्नोलॉजी एक्सचेंज सेक्टर (आईकेटीईसी) भारत सरकार दिनांक 10 जुलाई, 2018 को एनएसआईसी तकनीकी केन्द्र, नई दिल्ली में उद्धघाटन किया। आईकेटीईसी भारतीय एमएसएमई और दक्षिण कोरिया उद्यमों को उनकी पूरक क्षमताओं को बनाने के लिए तथा वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए सहायता करेगा।
  • ज्ञान के बाद ही समझ आता है। अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माण पद्धतियों में अंतर्दृष्टि और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन प्रदान करके उच्च स्तरीय गणमान्य व्यक्तियों के नेतृत्व में भारतीय शिष्टमंडल ने समय-समय पर विभिन्न देशों का दौरा किया। सचिव (एमएसएमई) के नेतृत्व में इंडियन एमएसएमई ने मार्च 2018 में सेंट पीटरसबर्ग इंटरनेशनल एक्जीबीशन, रूस में भाग लिया। वह 16 सदस्यीय एमएसएमई शिष्टमंडल के नेतृत्व में ताईवान गए जहां ताईवानी समकक्षों मशीनरी विनिर्माण इत्यादि के साथ भारतीय एमएसएमई के लिए आमने-सामने व्यवसाय बैठकें आयोजित की गई। ताईवानी विनिर्माण पद्धतियों को उजागर करने के लिए उद्योग के दौरे भी किए गए।
  • एनएसआईसी ने भी नई दिल्ली में दक्षिण कोरिया के साथ तीन प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान (एक्सचेंज) सम्मेलन आयोजित किए हैं जहां दोनों देशों में व्यवसाय अवसरों को बताया गया और भारतीय एसएमई और दक्षिण कोरिया के एसएमई के साथ लिंकेज बनाने के लिए आमने-सामने बैठकें आयोजित की गईं। एमसएमई सेक्टर में सहयोग आरंभ करने के लिए श्री गिरिराज सिंह, माननीय एमएसएमई राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के नेतृत्व में पदाधिकारियों के शिष्टमंडल ने वियतनाम का दौरा किया।
  • एमएसएमई क्षेत्र में सहयोग शुरू करने के लिए वियतनामः
  • 32 लघु और मध्यम उद्यमों के प्रतिनिधिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ संभावित लिंकेज स्थापित करने के लिए पोलैण्ड में 8वें यूरोपीय एसएमई कांग्रेस में भाग लिया। भारतीय एसएमई के लिए अवसर को फलदायी बनाने के उद्देश्य से ये दौरे विदेशी और भारतीय एसएमई के बीच प्रत्यक्ष व्यवसाय संबंध बनाने के लिए अवसर देते हैं।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में वर्धित सहयोग को देखते हुए यूरोपीय देशों एवं अफ्रीकी देशों सहित विदेशों से प्रतिनिधिमंडलों ने विभिन्न उद्योग निकायों के साथ उच्च स्तरीय बात करते हुए भारत का दौरा किया। उदाहरणार्थ, फ्रांसीसी एमएसएमई प्रतिनिधिमंडल ने सरकार की मेक इन इंडिया पहल का प्रयोग कर भारत और फ्रांस के बीच आर्थिक सहयोग पर वार्तालाप बढ़ाने के लिए सितम्बर, 2017 में भारत का दौरा किया। भारत का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडलों ने भारत और विदेशों के बीच संबंधों को मजबूत किया है और इस प्रकार अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा एवं परमाणु ऊर्जा पर विचार करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता साझा करने में सहायक सिद्ध हुआ है।
  • वैश्विक व्यापार और विदेशी बाजार के ज्ञान की कमी वैश्विक व्यापार को भारतीय एमएसएमई के लिए अज्ञात क्षेत्र बनाती है और अज्ञात क्षेत्र में जाना जोखिम है जिसका वे खर्च दे नहीं सकते हैं और ज्ञान प्राप्त करने की पुनः कोशिश करना लम्बी एवं खर्चीली प्रक्रिया है। विशेषज्ञता प्राप्त उत्पाद एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी के माध्यम से वैश्विक बाजार के भारतीय एमएसएमई को एक्सपोजर देने के लिए मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्कीम कार्यान्वित की जाती है जो एमएसएमई को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने एवं बाजार के अवसर को अधिकार में करने में मदद करती है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय लघु उद्यमों की भागीदारी को स्टॉल किराया एवं वायुयान भाड़ा देकर सरल और सुकर बनाता है। यह नोट करना रूचिकर है कि 723 उद्यमियों की भागीदारी देखकर वर्ष 2017-18 के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा कुल 51 प्रदर्शनियों की सहायता की गई। इस प्रकार नये बाजारों को अधिकार में लेने एवं विद्यमान बाजारों को बढ़ाने में एमएसएमई को उनके विपणन अवसरों को बढ़ाने में सहायता कर उद्यमिता संस्कृति को संवर्धित किया।
  • एनएसआईसी स्वरोजगार के अवसर सृजित करने के लिए रैपिड इंक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना कर भारतीय प्रौद्योगिकियों एवं एमएसएमई को भी संवर्धित करता रहा है।
  • भारतीय एमएसएमई के पोषण के लिए पहल

  • प्लेटफॉर्म जो उद्यम से उद्यम विचारों का आदान-प्रदान, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष व्यवसाय चर्चाएं, अवसरों की पारस्परिक साइजिंग एवं उनके समाधान के तरीकों की अनुमति दे सका, का सृजन करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के साथ भारतीय उद्यमों के लिए तंबू लगाकर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
  • यहां हाल में आयोजित कुछ कार्यक्रम हैं जिन्होंने विभिन्न देशों में एमएसएमई क्षेत्र में भारतीय साख स्थापित हुई है।

  • आईओआरए के साथ अंतर्राष्ट्रीय एसएमई कार्यशाला (19-20 जनवरी, 2017)
  • मंत्रालय ने एमएसएमई क्षेत्र में सहयोग के लिए इंडियन ओशन रिम एशोसियेशन (आईओआरए) सदस्य राष्ट्र 21 सदस्यीय राष्ट्र समूह एवं 7 डायलॉग साझेदारों के बीच समझौता ज्ञापन को कार्यान्वित करने के उद्देश्य से दिनांक 19-20 जनवरी, 2017 तक होटल अशोक, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय एसएमई कार्यशाला को आयोजित किया। राजदूतों, मीडिया कर्मियों, मंत्रालय तथा इसके संगठनों एवं विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा, कार्यक्रम की मुख्य बातें कार्यक्रम में भाग लेने वाले 16 देशों से कुल 25 विदेशी प्रतिनिधियों की भागीदारी प्रमुख थीं।

  • वैश्विक एसएमई व्यवसाय सम्मेलन 2018 (19-20 दिसम्बर, 2018)

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने नई दिल्ली में दिनांक 19-20 दिसम्बर, 2018 को सीआईआई के 15वें एडीशन का आयोजन किया था। सम्मेलन का विषय ‘‘वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के माध्यम से साझेदारी करना’’ था। सम्मेलन ने प्रभावशाली कार्यसूची तैयार करने तेथा भारतीय एमएसएमई को जीवीसी में एकीकृत करने के लिए असीम अनुभव एवं विशेषज्ञता वाले प्रसिद्ध वक्ताओं, वैश्विक श्रोतागण और विभिन्न राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय एसएमई स्टेकहोल्डरों को एक साथ लाने का प्रयास किया।

  • अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन (22-24 अप्रैल, 2018)
  • इंडिया एसएमई फॉरम के सहयोग से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने व्यापार सहयोग, संयुक्त उद्यम एवं भारतीय एसएमई के साथ साझेदारी बढ़ाकर तथा मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया के सहयोग एवं संवर्धन के लिए अंतर्राष्ट्रीय उद्यमियों को मंच प्रदान कर अंतर्राष्ट्रीय तथा भारतीय एसएमई के बीच द्विपक्षीय व्यापार को समर्थ करने के उद्देश्य से पहली बार अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन का आयोजन किया।
    भारत वैश्विक नवप्रवर्तन (इनोवेशन) सूचकांक के शीर्ष पर पहुँचने की गति को धीरे-धीरे दर्शाया है जबकि भारत में एसएमई ने लगातार सतत विकास के लिए बाधा के रूप में प्रौद्योगिकी को एक्सपोज किया है। प्रौद्योगिकियां एवं औद्योगिकीकृत तथा विकसित अर्थव्यवस्थाओं से निवेश विश्व में विनिर्माण पावरहाउस के रूप में चीनी उन्नति के आधार पर रही हैं। मंत्रालय ने भारतीय एसएमई की बड़ी अपेक्षा को पहचाना है और भारतीय एसएमई और प्रस्तुत रूप रेखा के अनुसार प्रौद्योगिकी रूप से उन्नत तथा नवप्रवर्तनकारी देशों से अंतर्राष्ट्रीय एसएमई के बीच प्रौद्योगिकीय सहयोग आमंत्रित करने, प्रोत्साहित करने तथा समर्थ करने के लिए एक योजना बनाई है।
  • औद्योगिकीकृत अर्थव्यवस्थाओं ने आधार के रूप में कार्य करने वाली एसएमई तथा उनके उद्योगों की वास्तविक मजबूती के साथ अत्यधिक प्रभावशाली उद्योग पिरामिड बनाने के लिए अपनी एसएमई को सुदृढ़ किया है।
  • प्रौद्योगिकी साझेदारी प्लेटफॉर्म देने तथा विकसित एसएमई अर्थव्यवस्थाओं को साझा करने के दोहरे उद्देश्य से, दिल्ली में 22-24 अप्रैल, 2018 के बीच अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन 2018 (आईएससी 2018) का आयोजन किया गया जिसमें 39 देशों से 170+ अंतर्राष्ट्रीय एसएमई प्रतिनिधियों एवं भारत से 400 से अधिक प्रगतिशील एसएमई ने भाग लिया। उस सम्मेलन में 11 राज्यों ने भी भाग लिया।
  • सम्मेलन में, 198 व्यापार कनेक्ट फॉर्म व्यापार मैचमेकिंग एवं जेवी के लिए फाइल किए गए जबकि 29 आशय पत्र एवं समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए जिनमें से 6 कार्यान्वित हो गये हैं एवं प्रभाव दिखाया है और आज की तारीख तक 180 करोड़ रु. का व्यवसाय हुआ है एवं आशा है कि यह प्रतिवर्ष बढ़ता रहेगा।

  • आईएससी 2018 के पश्चात् पोलैण्ड, चेक गणराज्य, इटली, उज्बेकिस्तान, घाना, सन मैरिनो, इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत से एसएमई व्यवसाय प्रतिनिधिमंडलों को अपने देशों में आमंत्रित किया है।

  • पहली बार खादी फैशन शो का अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसने केवीआईसी द्वारा आयोजित 2 और फैशन शो - एक लकमे फैशन वीक 2018 तथा दूसरा दिल्ली टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के लिए नजीर पेश की।

  • आईएससी 2018 तथा दायरे के भाग के परिणामस्वरूप माननीय संयुक्त सचिव एसएमई, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 17-19 अक्तूबर, 2018 तक कटोविस, पोलैण्ड में आयोजित एसएमई 2018 के लिए 8वें यूरोपीय कांग्रेस में भाग लेने के लिए इंडिया एसएमई फोरम द्वारा आयोजित 32 सदस्यीय व्यवसाय प्रतिनिधिमंडल का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया जिसके परिणामस्वरूप 5 कंपनियों ने समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिन्हें यूरोपीय कंपनियों से व्यवसाय आदेश प्राप्त हुए।

  • अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन की साझेदार ढूँढने या भारतीय बाजारों में प्रवेश करने की प्रतीक्षा में इच्छुक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के लिए नवप्रवर्तनकारी/उच्च प्रौद्योगिकी उत्पादों पर गहन व्यवसाय चर्चा, व्यापार सहयोग को बढ़ाने एवं प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वार्षिक प्लेटफॉर्म के रूप में माननीय सचिव द्वारा घोषणा की गई।
  • इसका लक्ष्य भारतीय एमएसएमई के उत्पादों एवं सेवाओं की निर्यात संभावना का मूल्यांकन करने, उपयुक्त बाजारों की पहचान करने, व्यापार संघों, बहुपक्षीय एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय मंचों तथा ई-कॉमर्स मंचों के माध्यम से नये बाजारों में प्रवेश करने के लिए कार्यनीतियों को विकसित कर पूरी जानकारी देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनाना है।
  • निष्कर्ष - परिवर्तनशील रूपतालिका
  • आर्थिक उदारीकरण के आगमन ने भारत और नवप्रवर्तन धुरी वाले देशों से लघु और मध्यम उद्यमों के बीच 700 से अधिक प्रौद्योगिकीय सहयोगों के पथ प्रशस्त किये हैं। सफल सहयोग का पता जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, इजरायल, सिंगापुर, यूके तथा यूरोपीय संघ सहित देशों से लगाया गया।

  • अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों के लिए विनिर्माण कार्य करने बल्कि बहु आयामी आपूर्ति श्रृंखला जो करोड़ों सूक्ष्म उद्यमों को लाभान्वित करेगी, को समर्थ करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उद्यमों के साथ सहयोग करने एवं साझेदारी करने में अग्रणी होने के लिए हमारे एसएमई को प्रोत्साहित करने हेतु भारत का समय आ गया है।

  • भारत ने बहुत-से जेवी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ साझेदारियां देखी हैं और अब यह मंच् को समर्थ करने के लिए भारत सरकार के ध्यान देना है जो न केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगा बल्कि भारतीय एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में सफलतापूर्वक एकीकृत करेगा।